विश्राम दिवस का नियम

ईश्वर के दस नियम में से तीसरा नियम, 'प्रभु का दिन पवित्र रखना' का हम सभी ख्रीस्तीयों द्वारा पालन करना बहुत ही सुन्दर और सुखद बात है। विश्राम दिवस इसीलिए ठहराया गया है कि लोग इस दिन ईश्वर को धन्यवाद दें, जिसने इस्राएल के इतिहास में महान् एवं दयापूर्ण कार्यों को संपन्न किया। विश्राम दिवस को मनाने के लिए नियमों को सुन्दर तरीके से व्यवस्थित किया गया था। प्रभु ने मूसा से कहा, 'तुम इस्राएलियों को आदेश दो कि वे विश्राम दिवस मनायें यह चिह्न है कि मैं उन्हें पवित्र करता हूँ- जो उसे अपवित्र करेगा, उसे मृत्युदण्ड दिया जायेगा- छह दिन तक काम किया जाए किन्तु सातवें दिन पूर्ण विश्राम हो (निर्गमन 31 : 12-17)।
येसु और उनके शिष्यों को भी इसकी जानकारी थी। फिर भी येसु के शिष्यों ने विश्राम दिवस के नियम का उल्लंघन कर गेहूँ के दानों को तोड़कर खाया जब वे खेत के बीच से होकर गुजर रहे थे। फरीसियों के सवाल करने पर येसु ने उन्हें विश्राम दिवस पर मनन करने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने विश्राम दिवस के वास्तविक मर्म को समझाया। सभी नियमों का निर्माण मानव के कल्याण के लिए होता है। इन नियमों का पालन वहीं तक करना चाहिए जितना मानव के लिए हितकारी हो और उसकी आवश्यकता को पूरी करने में सहायता पहुँचाए।

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