श्रीलंका में ईसाईयों पर कहर

पड़ोसी देश श्रीलंका में रविवार को एक के बाद एक हुए आठ बम धमाकों ने अस्सी व नब्बे के दशक की कड़वी यादें ताजा कर दी हैं जब यह छोटा सा दक्षिण एशियाई देश तमिल अलगाववादी आतंकियों का शिकार था। भारत ने इन धमाकों को बहुत गंभीरता से लिया है। एक तरफ जहां भारत श्रीलंका से जुड़ी अपनी सुरक्षा व्यवस्थाओं को चाक चौबंद करने में जुट गया है वहीं सरकार की तरफ से उच्च स्तर पर पड़ोसी देश से संपर्क साधा गया है। पीएम नरेंद्र मोदी ने श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना और पीएम रानिल विक्रमसिंघे को फोन कर घटना पर दुःख जताया और हालात का जायजा लिया। उन्होंने विस्फोट में मारे गए लोगों के प्रति अपनी संवेदना जताते हुए घायलों के जल्द ठीक होने की कामना भी की। मोदी ने पहले एक ट्वीट के जरिए और बाद में राजस्थान में एक बर्बर कृत्य करार देते हुए श्रीलंका कोहर तरह की मदद देने का भी आश्वासन दिलाया।  श्रीलंका की घटना के बाद गोवा समेत देशभर में चर्चो की सुरक्षा भी बढ़ा दी गई है।

श्रीलंका में भीषण धमाकों के बाद का हाल किसी की भी आँखों में आंसू ला सकता है। कुछ पल पहले जिस सेंट सेबेस्टियन चर्च में प्रभु येसु के सैकड़ों अनुयायी प्रार्थना के लिए जुटे थे, दूसरे ही पल वहां सिर्फ चीख-पुकार सुनाई दे रही थी। प्रभु की और उठे हाथों की जगह बिखरे शवों के बिच अपनों को खोजते हाथ दिख रहे थे। कुछ पल पहले श्रद्धा से झुकी आँखों में आंसू शेष रह गए थे। सेंट सेबेस्टियन चर्च की स्थापना 1946 में हुई थी।

प्रत्यक्षदर्शिओं का कहना है कि भीषण विस्फोट के बाद चर्च कि दीवारों पर बस खून के छींटे और चीथड़े दिख रहे थे। यही हाल चर्च के बहार और आसपास का भी था। पादरी एडमंड तिलकरत्ने बताया कि यह ख़ास मौका था, इसलिए बड़ी संख्या में प्रभु येसु के अनुयायी एकत्र थे। हमले के बाद चर्च में करीब 30 लोगों के शव दिख रहे थे। वहां उस समय तीन पादरी थे, जिनमें से दो भीषण रूप से घायल हो गए। हर तरफ कांच के टुकड़े और अन्य मलबा बिखरा हुआ था। कोलंबो स्थित सेंट एंथनी चर्च की भी स्थिति ऐसी ही थी। विस्फोट में चुर्च्कि छत भी उड़ गई। कोलंबो के आर्कबिशप ने हमले के जिम्मेदार लोगों को कड़ी सजा की मांग की है।

2006 में हुआ था ऐसा हमला

श्रीलंका में इससे पहले 2006 में भीषण हमला हुआ था। हमला तमिल विद्रोही संगठन लिट्टे ने करवाया था।

ईस्टर के मौके पर चर्च में प्रार्थना करने के बाद लोग ब्रेकफास्ट के लिए श्रीलंका के पांच सितारा सिनामोन ग्रैंड होटल के रेस्टोरेंट में जुटे थे। आम लोगों के साथ आत्मघाती आतंकी भी ब्रेकफास्ट के लिए बुफे की लाइन में लगा था। औरों की तरह उसके हाथ में भी प्लेट थी, लेकिन दूसरों से अलग उसने अपनी पीठ पर विस्फोट भी बांध रखे थे। उसके आस-पास में खड़े लोगों को इसकी भनक तक नहीं लगी। अचानक उसने विफोटा कर दिया और सबकुछ खत्म हो गया।

होटल के मैनेजर ने बताया कि आत्मघाती हमलावर शनिवार की रात होटल में आया था।  होटल के रजिस्टर में उसने अपना नाम मोहम्मद दर्ज किया था। ब्रेकफास्ट के लिए उसकी बारी आने वाली थी, लेकिन उससे पहले ही उसने धमाका कर दिया।

ईस्टर ब्रेकफास्ट के लिए होटल के रेस्टोरेंट में भीड़ कुछ ज्यादा ही थी। घड़ी की सुइयां सुबह 8.30 बजने का संकेत दे रही थी।  ब्रेकफास्ट के लिए लोग अपने परिजनों के साथ पहुंचे थे।होटल का एक मैनेजर लोगों का स्वागत-सत्कार कर रहा था। धमाका हुआ तो उस मैनेजर की जान भी नहीं बची।

होटल के मैनेजर ने बताया कि हमलावर भी मारा गया। उसके शरीर का एक बड़ा हिस्सा सही सलामत मिला, जिसे जांच के लिए पुलिस ले गई।  होटल के दूसरे अधिकारियों ने बताया कि आत्मघाती हमलावर ने खुद को व्यवसायी बताया था। वह श्रीलंका नागरिक था। मैनेजर ने बताया कि 20 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे, जिन्हें नेशनल हॉस्पिटल भेजा गया।  होटल सिनामोन ग्रैंड श्रीलंका के प्रधानमंत्री के सरकारी आवास के पास ही स्थित है। इसलिए धमाका होने के कुछ ही देर बाद वहां कमांडो पहुंच गए।  विस्फोट कितना शक्तिशाली था, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि होटल की दूसरी मंजिल पर स्थित रएटॉरंट के परखच्चे उड़ गए।

चार्ल्स सिंगोरिया

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