जल्लीकट्टू के बारे में वो सबकुछ जो आप जानना चाहते हैं

तमिलनाडु का लोकप्रिय पर्व जल्लीकट्टू न सिर्फ भारत में बल्कि सम्पूर्ण विश्व में चर्चा का केंद्र बना हुआ है | जगह-जगह से इसके बारे में ख़बरें लिखी जा रही हैं | दुनिया भर में रह रहे तमिलियन उन ख़बरों में अपनी प्रतिक्रिया देकर बता रहे हैं कि पर्व पर पाबंदी उनकी प्राचीन सस्कृति के साथ छोड़छाड़ है और जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नही किया जाएगा |

ज्ञात हो कि जल्लिकुट्टू पर प्रतिबंध काफी पहले था और आज इस मुद्दे को एक बार फिर से भुनाया जा रहा है | राज्य के इस लोकप्रिय पर्व जल्लीकट्टू पर लगे बैन को हटाने कि मांग पुरे तमिलनाडु में फ़ैल गई है | बताया जा रहा है कि इस पर्व पर लगे प्रतिबंध को लेकर सम्पूर्ण राज्य की जनता एक साथ एक प्लेटफोर्म पर आ गयी है और आज राज्य के अलग-अलग हिस्सों मेभी विरोध-प्रदर्शन पहले के मुकाबले ज्यादा उग्र हो गया हैं |

2014 में जल्लीकट्टू पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लग गया था |

मुख्यमंत्री ओ.पनीरसेल्वम ने फौरन एक अध्यादेश लाने की मांग के साथ गुरुवार को पीएम मोदी से मुलाक़ात की | हालांकि, उन्हें कोई सीधा आश्वासन नही मिला है |

राज्य के नेताओं को नयी पैकिंग में ज़ेर-ए-बहस एक पुराना मुद्दा मिल गया है | कहा जा सकता है कि पूर्व मुख्यमंत्री जयललित के स्वर्गवास के बाद जल्लिकुट्टू ही राज्य का अहम मुद्दा है और इस मुद्दे को लेकर जो भी हो रहा है वही पॉलिटिक्स है | वही पॉलिटिक्स जो राज्य के नेताओ को वोट दिलवाएगी |

गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायलय ने तमिलनाडु में मई 2014 के दौरान जल्लीकट्टू पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया था | जिसके बाद केंद्र सरकार ने अध्यादेश जारी कर इस खेल को करे जाने की इजाजत दे दी   थी | इसके कुछ समय बाद ही इस अध्यादेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में फिर से याचिका दायर की गई थी, जिस पर अंतिम फैसले अभी किया जाना है |

बहरहाल आज इस लेख के जरिये हम आपको अवगत करेंगे कि असल में जल्लीकट्टू है क्या और क्यों इसके बैन होने से सम्पूर्ण तमिलनाडु की भावना आहात हो गयी है |

क्या है जल्लीकट्टू ?

जल्लीकट्टू खूंखार सांड को काबू करने का एक खेल है जिसका तमिलनाडु में बहुत क्रेज है | ये खेल यहाँ के गावों में मुख्य पोंगल त्यौहार से ठीक पहले मट्टू पोंगल के दौरान खेला जाता हैं | जहाँ व्यक्ति को अपने शारीरिक बल के अलावा दिमाग का परिचय देते हुए खतरनाक सांड को काबू करना होता है | जल्लीकट्टू शब्द की उत्पत्ति एक तमिल शब्द सल्ली कासू से हुई है जिसका मतलब होता है सिक्कों की पोटली | इस पर्व के दौरान सिक्कों की पोटली को सांड की सींगों के ऊपर बांधा जाता है जो प्रतियोगिता का इनाम होता है |ये इनाम यूज़ मिलता है जो अधिक समय तक सांड को काबू कर पाता है |

खूंखार सांड को काबू में करने का खेल है जल्लीकट्टू

मजेदार बात तो ये है कि इस खेल के लिए जिस सांड को तैयार किया जाता है वो एक विशेष नस्ल पुलिकुलम या जेलिकट का होता है | इस नस्ल की ख़ास बात ये है कि ये प्रजाति बड़ी आक्रामक होती है और खतरे के दौरान अपनी प्राण रक्षा करते हुए वार करती है |

इस खेल को तीन भागों में खेला जाता है –                                                                                       1. वदी मनुवीरत्तु -  ये इस खेल का सबसे खतरनाक फॉर्म होता है | जैसे ही खूंखार सांड हो छोड़ा जाता है उसी दौरान व्यक्ति को इस छूटे हुए सांड की पीठ पर बैठना होता है | ये देखा गया है कि वदी मनुविरत्तु के दौरान लोग कई बार गंभीर रूप से घायल होते हैं और कई बार उनकी मौत तक हो जाती है | कभी न कभी आपने दक्षिण की फिल्मों के सीन में इस दृश्य को देखा होगा |

2. वायली विरत्तु - खेल के इस फॉर्म में सांड को एक ओपन एरीना में छोड़ दिया जाता है | यहाँ जो भी व्यक्ति सांड के करीब आता है उस पर सांड आक्रमण करता है और फिर शुरुआत होती है इंसान और जानवर के बीच की जंग |

3. वदम मंजुवीरत्तुजल्लीकट्टू के ये फॉर्म सबसे सुरक्षित माना जाता है और इसमें रिस्क भी कम होती है | इस फॉर्म में रिस्क की गुंजाईश कम रहती है | वदम मंजुवीरत्तु में सांड को एक 50 फीट लम्बी रस्सी से बांधा जाता है जहाँ 7 से लेके 9 आदमियों का समूह सांड पर चढ़ाने कर उसे पराजित करता है | वदम मंजुवीरत्तु में समूह को 30 मिनट में सांड को काबू करना होता है |

बहरहाल चूँकि जल्लीकट्टू स्पेनिश बुल फाइटिंग से काफी मिलता जुलता है परन्तु यहाँ स्पेन की तर्ज पर सांड को मारा नही जाता है और इसे केवल एक खेल की तरह लिया जाता है | गौरतलब है कि राज्य सरकार द्वारा जानवरों और खिलाड़ियों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाता है साथ ही यहाँ पर पुरे आयोजन के दौरान कुशल डॉक्टरों की टीम भी मौजूद रहती है | तो अब अगर आप अपने को खतरों का खिलाड़ी मानते है और अपने को एडवेंचर के शौकीन लोगों में शुमार करते हैं और भारत में रहते हुए स्पेन वाली बुल फाइटिंग का मजा लेना चाहते हैं तो बैन हटने के बाद तमिलनाडु आइये और जल्लीकट्टू का आनन्द लीजिये |

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