खजूर इतवार

पवित्र सप्ताहपवित्र सप्ताह

पवित्र बाइबल में कहा गया है कि प्रभु येसु जब येरुसालेम पहुँचे, तो उनके स्वागत में बड़ी संख्या में लोग  खजूर की डालियाँ अपने हाथों में लहराते हुए एकत्रित हो गए थे। यह बात करीब दो हजार वर्ष पहले की बताई जाती है। उस दिन की याद में खजूर इतवार के रूप में मनाया जाता है।खजूर इतवार से हम येसु के साथ उनकी दुःख-भोग  की यात्रा की  शुरुवात करते हैं।इसे पवित्र सप्ताह की शुरुआत के रूप में भी मनाया जाता है।इसे इसलिये पवित्र सप्ताह कहा गया है क्योकि हम घोशित करते हैं कि मृत्यु से जी उठने के पहले प्रभु ने हमारे खातिर घोर दुख सहा और हमारे लिये मर गये। हम नवीन और अद्भुत रूप से प्रभु में अपने विश्वास को मजबूत करते हैं। इस पवित्र सप्ताह के पाठों का केन्द्र बिन्दु प्रभु येसु हैं। परन्तु यहाँ विरोधाभास है। एक स्थान पर प्रभु येसु का जय जयकार गूँजता है, वहीं दूसरी तरफ वे इस कदर अपमानित किये जाते हैं जो किसी भी मानवीय सहनशक्ति से परे है। प्रभु येसु को महिमा और सम्मान सिर्फ एक दिन के लिये दिया गया और कुछ ही दिनों के अन्दर उन्हें एक अपराधी की भांति पकड़ कर मौत के घाट उतारा गया। ईश्वर के पुत्र को सिर्फ एक रविवार के लिये क्षणिक महिमा दी गई है।बृहस्पतिवार के दिन वे गेथसेमनी बाग में प्राणपीड़ा भोगते हैं। इसी सप्ताह शुक्रवार को उनपर मुकदमा चलाकर क्रूस पर चढ़ाये जाने की आज्ञा दी जाती है, उनके शिष्य भी उन्हें त्याग देते हैं और उन्हें क्रूस पर अपमानजनक मौत प्राप्त होती है।इसका समापन शनिवार के रात्रि-जागरण पर होगा।अर्थात ईस्टर के रूप में होगा। 
 

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