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भारत, 18 नवम्बर 2015 (ऊकान): उत्तर भारत के आदिवासी ख्रीस्तीयों ने छोटानागपुर के महान काथलिक मिशनरी एवं मुक्तिदाता फादर कॉन्सटंट लीवंस की पुण्यतिथि मनाते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
ज्ञात हो कि झारखंड तथा छत्तीसगढ़ के आदिवासी समुदाय में महान परिवर्तन लाने वाले प्रभु सेवक फादर कॉन्सटंट लीवंस बेल्जियम के मिशनरी थे जिन्होंने 7 वर्षों तक छोटानागुर में कार्य किया। उनका निधन 122 वर्षों, पूर्व 7 नवम्बर को अपने देश बेल्जियम में हुआ था।
खूँटी के धर्माध्यक्ष विनय कंडुलना ने कहा, ″ईश्वर पर उनके दृढ़ विश्वास के अलावा फादर कॉन्सटंट लीवंस की सफलता की पहली कुँजी थी आदिवासियों की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक तथा धार्मिक परिस्थिति का ज्ञान एवं अनुभव।″
दूसरी कूँजी थी कि वे आदिवासियों पर अन्याय, शोषण और उत्पीड़न की पीड़ा को अच्छी तरह समझते थे तथा उसका समाधान करना चाहते थे।
फादर कॉन्सटंट लीवंस की सफलता का तीसरा रहस्य था कि वे जमीनदारों के प्रतिकार से घबराये नहीं किन्तु समुदाय को सम्पूर्ण स्वतंत्रता दिलाने में लगे रहे।
धर्माध्यक्ष ने गौर किया कि छोटानागपुर की कलीसिया वर्षों के अंतराल में काफी विकसित हो चुकी है किन्तु गाँवों में आज भी लोग पहले की तरह ही शोषण के शिकार तथा समस्याओं से जूझ रहे हैं। अपने विश्वास को शांति एवं स्वतंत्रता से जीने हेतु उन्हें संघर्ष करना पड़ रहा है। वे अपने अस्तित्व के लिए चिंतित हैं।
उन्होंने कहा कि कलीसिया के धर्माचार्यों एवं विश्वासियों के बीच एकात्मकता का होना आवश्यक है।
उन्होंने आशा जतायी कि काथलिक कलीसिया ख्रीस्तीय एवं गैरख्रीस्तीय सभी आदिवासियों को एक समुदाय के रूप में बने रहने को मदद करे ताकि एक साथ मिलकर इन गंभीर समस्याओं का सामना किया जा सके क्योंकि एकता में बल है, विभाजन द्वारा हम कमजोर हो जाते हैं।