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वाटिकन रेडियो, 9 फरवरी 2017 (वी आर सेदोक) : परमधर्मपीठ के प्रतिनिधि ने संयुक्त राष्ट्र के सामाजिक विकास आयोग से कहा, ″दुनिया के नेताओं को न सिर्फ आर्थिक गरीबी के बारे लेकिन नीतियों और निवेश के साथ सामाजिक और आध्यात्मिक गरीबी के बारे भी बात करना चाहिए जिसे लोग देख और छू सकें।″
संयुक्त राष्ट्र के लिए स्थायी पर्यवेक्षक एवं परमधर्मपीठ के प्रेरितिक राजदूत महाधर्माध्यक्ष बेर्नारदितो औजा ने गरीबी उन्मूलन के लिए सतत विकास के लक्ष्य को हासिल करने के लिए रणनीतियों पर सामाजिक विकास के लिए आयोग के 55 वें सत्र को संबोधित किया।
उन्होंने कहा, "युद्ध और संघर्ष लोगों को दूसरे देशों में प्रवासन के लिए मजबूर करती है और बड़े पैमाने में लोगों के विस्थापन का मुख्य कारण है। यदि हम गरीबी को समाप्त करना चाहते हैं और शांति कायम रखना चाहते हैं तो हिंसक संघर्ष को समाप्त करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।
महाधर्माध्यक्ष औजा ने कहा कि युवाओं की शिक्षा तथा उनके व्यक्तिगत विकास पर हमें पूरा ध्यान देना चाहिए जिससे कि उन्हें नौकरी मिल सके और वे समाज में रहकर अपना सार्थक योगदान दे सकें। और इस तरह उन्हें "अतिवादी विचारधाराओं के शिकार" होने से बचाया जा सकता है।
(माग्रेट सुमिता मिंज)